Friday, 28 June 2019

राष्ट्रीय पंक्षी मोर

मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। रूप और गुण दोनों में मोर अतुलनीय है। मोर बहुत सुन्दर होता है। इसके पंखों में इन्द्रधनुषी रंग बिखरे हुए हैं। बरसात के मौसम में बादलों को देखकर पक्षी राज मोर झूम उठता है। अपने पंखों को फैलाकर जब यह नाचता है तो मोरनी के साथ साथ सभी इसके नृत्य के दीवाने हो जाते हैं।
मोर की ऊंचाई लगभग डेढ़ दो फुट होती है मगर इसका शरीर कुछ बड़ा होता है। वास्तव में अपने लम्बे लम्बे पंखों के कारण यह काफी लम्बा लगता है। नाचते वक्त यह अपने पंख गोल घेरे में ऊपर उठा कर फैला लेता है। मोर के सिर पर एक चमकीली रंग बिरंगी कलगी होती है। इसकी चोंच थोड़ी लम्बी और नुकीली होती है। मोर के पैर उसकी तरह सुन्दर नहीं होते। किस्से कहानियों में कहा जाता है हि मोर अपने पैरों को देखकर रोता है। मोरनी मोर की तरह सुन्दर नहीं होती, क्योंकि उसके पंख मोर जैसे सुन्दर नहीं होते।
मोर हरे भरे जंगलों और खेतों के पास ही रहते हैं। मोर का प्रिय भोजन है कीट पतंग और अनाज के दाने। मोर सांप को भी मार कर खा जाता है।
हमारे देश में मोर को पवित्र माना जाता है। भगवान कृष्ण अपने मुकुट में मोरपंख लगाते थे। मोरपंख के पंखे भी बनाये जाते हैं जो सजावट के काम आते हैं। मंदिरों में भी मोरपंख रखे जाते हैं। मोर कार्तिकेय भगवान का वाहन है एवं मां सरस्वती का प्रिय पक्षी है।
पतली टांगें और भारी शरीर के कारण मोर अधिक उड़ नहीं सकते। जरूरत पड़ने पर यह तेज भाग सकते हैं।

राष्ट्रीय पशू गाय


देशभर के पशु बाजारों में मांस के लिए मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने का नियम कानूनी दांव-पेंच में उलझता दिखाई दे रहा है. मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा इस पर रोक लगाए जाने के बाद केरल उच्च न्यायालय का कहना है कि इसमें मांस के लिए मवेशियों की खरीद-फरोख्त या उन्हें मारने पर पूर्ण पाबंदी लगाने जैसा कुछ भी नहीं है. वहीं आज राजस्थान उच्च न्यायालय ने गायों की सुरक्षा के लिए ज्यादा सख्त प्रावधान लाने का समर्थन किया है. जयपुर की हिंगोनिया गोशाला से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए बुधवार को अदालत ने केंद्र सरकार को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया है. इसके साथ जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने यह भी कहा कि गोहत्या पर सजा को बढ़ाकर उम्र कैद कर देना चाहिए. इन तीनों अदालती घटनाक्रमों के चलते गोहत्या, गोमांस और मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर केंद्र के नोटिफिकेशन से जुड़ी बहस इस समय सोशल मीडिया में छाई हुई है.

खरगोश

खरगोश ज़मीन के नीचे बिलों में रहते हैं जबकि खरहे ज़मीन पर घास का घोंसला बनाते हैं। खरगोश के बच्चों की जन्म के समय आँखें नहीं खुली होती हैं तथा शरीर पर बाल नहीं होते हैं, जबकि खरहे के बच्चे जन्म से ही देख सकते हैं और उनके शरीर में प्रायः बाल भी होते हैं। खरहे प्राय़ः खरगोश से आकार में बड़े होते हैं, उनके कान भी बड़े होते हैं तथा उनके खाल में काले निशान होते हैं। खरहे अमूमन झुण्ड में रहना पसन्द नहीं करते हैं। खरहे को पालतू नहीं बनाया जा सका है जबकि खरगोश लोगों के घरों में पालतू जानवर के रूप में पाये जा सकते हैं।
खरगोश को उत्परिवर्ती एलियंस से विकसित है +२,००,००,००० साल पहले, जब शनि ग्रह से लोगों को हमारे ग्रह पर आक्रमण किया है और कई स्तनधारियों की चोट लगी है। इस समय के दौरान, बच्चे प्रागैतिहासिक घोड़ों की मृत्यु हो गई और कुछ उत्परिवर्तित, विदेशी की तरह एक मूर्खतापूर्ण घोड़े (cerritulus Equus) बुलाया रूप बन गया है, तो अपने बच्चों को सभी के लिए खरगोश 3,500,000 के बारे में साल पहले शुरू किया गया।
ख़रगोश के बच्चें बहुत सारे और बहुत होशियार होते हैं।

कुत्ता

कुत्ते 30 से 40 हजार साल पहले से ही इंसानों द्वारा घरों में पालतू जानवर के रूप में पाले जाते है कुत्ते का वैज्ञानिक नाम कैनिस लुपुस फैमिलिरिस होता है कुत्ते के बच्चे को पिल्ला और मादा कुत्ते को कुतिया कहा जाता है.
कुत्ता बहुत समझदार और वफादार जानवर होता है यह इंसानों का सच्चा मित्र होता है क्योंकि यह इंसानों की तरह ही सोच और भावनाओं को समझ सकता है इसीलिए जब भी कुत्ता अपने मालिक से कई सालों बाद भी मिलता है तो उसे याद रखता है और मालिक के दूर होने पर दुख व्यक्त करने के लिए रोता भी है.
एक व्यस्क कुत्ते के मुंह में 42 दांत होते है कुत्ते की एक नाक होता है इसके सूंघने की छमता इंसानों के मुकाबले बहुत अधिक होती है जिसके कारण इसका उपयोग चोर पकड़ने, विस्फोटक आदि का पता लगाने के लिए पुलिस द्वारा उपयोग में लिया जाता है.
अलग-अलग देशों में कुत्ते की अलग-अलग नस्लें पाई जाती है. कुत्ते और भेड़िए के पूर्वज एक ही थे जिसके कारण यह देखने में एक जैसे लगते हैं और इनका डीएनए में 99% तक एक समान है. एक कुत्ते का औसतन जीवनकाल 15 से 20 वर्ष का होता है लेकिन कुछ कुत्ते से अधिक अवधि तक भी जीवित रहते है
कुत्ता ज्यादातर इंसानों के आसपास रहना पसंद करता है क्योंकि इसे उन्हीं के द्वारा खाना प्राप्त होता है. जानवरों में कुत्ता सबसे वफादार जानवर है जिसके कारण यह है घरों की रखवाली के लिए सबसे ज्यादा पाला जाता है.
अमेरिका एक ऐसा देश है जहां पर सबसे ज्यादा लगभग 7 करोड़ के करीब पालतू कुत्तों को पाला जाता है. कुत्ते के चार पैर होते है जिसके कारण इसे चौपाया जानवर भी कहते है इसके पूरे शरीर पर छोटे-छोटे बाल होते हैं यह काले सफेद भूरे ग्रे इत्यादि रंगो में पाया जाता है.
कुत्ते के दो आंख होती है और एक नाक होता है जिसकी सहायता से ही है इंसानों की तुलना में 10 गुना ज्यादा सूंघ सकता है. कुत्ते के दो कान होते है जिनसे धीमी से धीमी आवाज भी सुन सकता है. यह मांसाहारी और शाकाहारी दोनों प्रकार का भोजन आसानी से पचा लेता है.
कुत्ता बहुत तेजी से दौड़ सकता है बर्फीले स्थानों पर कुत्तों को सामान ढोने के रूप में भी काम में लिया जाता है.

नेवला

एक महिला ने घर में नेवला पाला हुआ था। महिला को नेवले पर बहुत विश्वास था और वह उससे बहुत स्नेह करती थी। एक दिन महिला अपने छह माह के बच्चे को घर में सोता छोड़कर पड़ोस में ही किसी काम से गई थी। जब वह वापस लौटी तो घर के बाहर उसने नेवले को बेहोश पड़ा देखा। उसके मुंह पर रक्त लगा था।
यह नजारा देखकर महिला सदमे में आ गई। उसने मौके के हालात देखते हुए सोचा कि नेवले ने उसके बच्चे को मार दिया है। उसने बदला लेने के लिए पास ही रखा बड़ा पत्थर उठाया और बेहोश पड़े नेवले पर वार कर दिया। पत्थर के वार से नेवला वहीं ढेर हो गया। अब महिला ने तेजी से कमरे में प्रवेश किया तो वहां का दृश्य देखकर उसको राहत तो मिली पर गुस्से में की गई घटना पर उसे बहुत दुख हुआ।
उसका बच्चा बिस्तर पर लेटे हुए खेल रहा था। महिला ने आगे बढ़कर देखा तो वहां फर्श पर रक्त पड़ा था। नजदीक ही एक काला सांप मृत पड़ा था। महिला को समझते देर नहीं लगी कि जिस नेवले को उसने मौत के घाट उतारा है, उसने तो उसके पुत्र की रक्षा करने के लिए सांप को मारा था, इसीलिए उसके मुंह पर रक्त लगा था। महिला को नेवले को मार देने का काफी दुख हुआ। वह पश्चाताप करते हुए कह रही थी कि अगर मैंने गुस्से पर काबू पाकर पहले घटना के बारे में जान लिया होता तो पुत्र की जान बचाने वाले जीव को नहीं मारती। इसलिए किसी भी घटना से दुखी होकर अपना होश खो देने की जरूरत नहीं होती।

घोड़ा



घोड़ा बहुत उपयोगी जंतु है। यह पालतू एवं तेज दौड़नेवाला जंतु है। इसकी चाल मनमोहक होती है। इस पर सवारी का आनंद अनूठा है। घोड़े का प्रयोग सैनिकों द्वारा लंबे समय से किया जाता रहा है । सेना में घुड़सवार दस्तों का होना परंपरा एवं शान का प्रतीक माना जाता है ।


घोड़े पूरी दुनिया में पाए जाते हैं । ये कई रंग और नस्ल के होते हैं । अरबी घोड़े सबसे अच्छे माने जाते हैं । सेना में अधिकतर अरबी घोड़े होते हैं । इन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है । प्राचीन समय में सेना में घुड़सवार दस्ते बड़ी संख्या में होते थे । ये दस्ते युद्ध में बड़ी भूमिका निभाते थे । लक्ष्मीबाई और महाराणा प्रताप जैसे वीरों की सफलता में इनके घोड़ों की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी । घोड़े अपने नायकों के इशारे समझने में तनिक भी देर नहीं लगाते थे । हालाकि आधुनिक समय में युद्ध की पद्धति बदल गई है परंतु अन्य क्षेत्रों में घोड़े अब भी महत्त्वपूर्ण हैं ।


घोड़ा शाकाहारी जन्तु है । यह घास भूसा एवं अनाज खाता है । इसे चना बहुत पसंद है जो इसकी ताकत का प्रमुख स्त्रोत है । घोड़ा मैदानों में हरी घास चरता है और अपने मालिक के द्वारा दिया गया खाना खाता है । इसके रहने के स्थान को अस्तबल कहा जाता है । अस्तबल में इसके रहने एवं खाने-पीने का उचित प्रवंध होता है ।


घोड़ा बहुत तेज दौड़ लगाता है । यह पलक झपकते ही वहुत दूर चला जाता है । प्राचीन समय की यह सबसे तेज सवारी थी । घुडसवार राजाओं , नवाबों एव जमींदारों के संदेश लेकर दूरस्थ स्थानों में जाते थे । व्यापारी घोडे की पीठ पर बोझ लादकर व्यापार करने जाते थे । मार्ग में घोड़ा ही उनका साथी होता था । आम लोग भी घोड़ा पालते थे और इसकी सवारी करते थे ।