घोड़ा बहुत उपयोगी जंतु है। यह पालतू एवं तेज दौड़नेवाला जंतु है। इसकी चाल मनमोहक होती है। इस पर सवारी का आनंद अनूठा है। घोड़े का प्रयोग सैनिकों द्वारा लंबे समय से किया जाता रहा है । सेना में घुड़सवार दस्तों का होना परंपरा एवं शान का प्रतीक माना जाता है ।
घोड़े पूरी दुनिया में पाए जाते हैं । ये कई रंग और नस्ल के होते हैं । अरबी घोड़े सबसे अच्छे माने जाते हैं । सेना में अधिकतर अरबी घोड़े होते हैं । इन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है । प्राचीन समय में सेना में घुड़सवार दस्ते बड़ी संख्या में होते थे । ये दस्ते युद्ध में बड़ी भूमिका निभाते थे । लक्ष्मीबाई और महाराणा प्रताप जैसे वीरों की सफलता में इनके घोड़ों की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी । घोड़े अपने नायकों के इशारे समझने में तनिक भी देर नहीं लगाते थे । हालाकि आधुनिक समय में युद्ध की पद्धति बदल गई है परंतु अन्य क्षेत्रों में घोड़े अब भी महत्त्वपूर्ण हैं ।
घोड़ा शाकाहारी जन्तु है । यह घास भूसा एवं अनाज खाता है । इसे चना बहुत पसंद है जो इसकी ताकत का प्रमुख स्त्रोत है । घोड़ा मैदानों में हरी घास चरता है और अपने मालिक के द्वारा दिया गया खाना खाता है । इसके रहने के स्थान को अस्तबल कहा जाता है । अस्तबल में इसके रहने एवं खाने-पीने का उचित प्रवंध होता है ।
घोड़ा बहुत तेज दौड़ लगाता है । यह पलक झपकते ही वहुत दूर चला जाता है । प्राचीन समय की यह सबसे तेज सवारी थी । घुडसवार राजाओं , नवाबों एव जमींदारों के संदेश लेकर दूरस्थ स्थानों में जाते थे । व्यापारी घोडे की पीठ पर बोझ लादकर व्यापार करने जाते थे । मार्ग में घोड़ा ही उनका साथी होता था । आम लोग भी घोड़ा पालते थे और इसकी सवारी करते थे ।
No comments:
Post a Comment